۲ آذر ۱۴۰۳ |۲۰ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 22, 2024
अब्दुल्लाह अमीनी

हौज़ा/ मेहरान के इमाम जुमा ने कहा: अरबईन के दिनों के दौरान विद्वानों का मुख्य कर्तव्य सांस्कृतिक और उपदेशात्मक मामलों को अंजाम देना है, जो ज़ाएरीन की अन्य समस्याओं से अधिक महत्वपूर्ण है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, ईरान के मेहरान के इमाम जुमा हुज्जतुल इस्लाम सैय्यद अब्दुल्ला अमीनी ने एलाम में हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के रिपोर्टर के साथ एक साक्षात्कार में कहा: अरबईन दुनिया की सबसे बड़ी सांस्कृतिक सभा है और जिससे भी पूछा जाता है तो वह अरबईन का  वैश्विक सांस्कृतिक कार्यक्रम के रूप मे उल्लेख करता है।

उन्होंने कहा: अरबईन का आंदोलन जाबिर बिन अब्दुल्ला अंसारी के साथ शुरू हुआ और जाबिर के बाद अन्य विद्वानों ने उनकी जीवनी के अनुसार इस आंदोलन को जारी रखा और यह आंदोलन आज एक व्यक्ति से 30 मिलियन इमाम हुसैन के प्रेमियों मे बदल गया। 

इमाम जुमा मेहरान ने कहा: अरबईन की पवित्रता और जाबिर बिन अब्दुल्ला अंसारी और आध्यात्मिकता से शुरू हुई और फिर इसे अन्य विद्वानों द्वारा मजबूत किया गया, बल्कि आध्यात्मिकता को इस स्रोत से मजबूत किया गया।  "तरीक़े उलमा" यानि उलेमा का वह रास्ता जिससे वे (मुशी) होकर गुज़रते थे, कई सालों के बावजूद आज भी वैसा ही है।

हुज्जतुल इस्लाम अमीनी ने कहा: आज भी अरबईन का मुख्य स्तंभ और नींव विद्वान हैं।  जिसका कर्तव्य जा़एरीन को ईश्वर की राह में आस्था, धार्मिक विश्वास, नेतृत्व, उत्पीड़न के प्रतिरोध और जिहाद जैसे नैतिक गुणों और इस रास्ते में आने वाली कठिनाइयों को सहन करने के बारे में शिक्षित करना है।

उन्होंने कहा: अरबईन दुनिया का सबसे बड़ा सांस्कृतिक आयोजन है और जिससे भी पूछा जाता है वह अरबईन को एक वैश्विक सांस्कृतिक कार्यक्रम के रूप में बताता है।

टैग्स

कमेंट

You are replying to: .